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Monday 26 November 2012

Shocking News for UP TET and Vishist BTC candidates of UP

Uttar Pradesh Govt. is in no mood of taking any step regarding notification for rcruitment of UP TET candidates before 06/12/2012 but it is ready to give some new answer to the court on prescribed date.
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No Extension for B.Ed. Holders by NCTE

In an answer to a RTI query NCTE has said that there is no such notifiacation by NCTE regarding Extension  in time for B.Ed. degree holders to be recruited as teachers in Primary Schools after 01/01/2012.
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Hope for UP TET and Vishist BTC candidates of Uttar Pradesh

Announcement of recruitment of 2 lakh primary teaches in Primary schools of Uttar Pradesh, by UP CM Akhilesh Yadav, activated all the related departments and also a ray of hope to all the UP TET and Vishist BTC candidates of UP.
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दो लाख शिक्षकों की भर्ती होगी: अखिलेश

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि आगामी डेढ़-दो वर्षों में दो लाख से ज्यादा शिक्षकों के अलावा पुलिस और पीएसी में भी बड़ी संख्या में भर्तियां होंगी। नौकरी के लिए बेरोजगार अभी से बाकी चीजों से ध्यान हटाकर मेहनत से अपनी पढ़ाई पूरी करें। प्रदेश सरकार गांवों के पारंपरिक खेलों को आगे बढ़ाएगी। पिछली सरकार ने तो स्टेडियम में डायनामाइट लगा दिया था।

मुख्यमंत्री शुक्रवार को राष्ट्रीय महिला खेल कम्पटीशन के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। वह दोपहर 1:20 बजे एसएस मैमोरियल कालेज में बने हैलीपैड पर उतरने के बाद सीधे स्टेडियम पहुंचे। यहां उनका बैंड बाजे से स्वागत हुआ। वालीबाल का फाइनल मैच देखने के बाद उन्होंने कहा कि जो जीते और हारे हैं, सभी को बधाई। महिला खिलाड़ियों ने ओलंपिक में देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने माना कि खेलकूद के मामलों में अन्य प्रांतों से यूपी और बिहार थोड़ा पीछे हैं। क्रिकेट तो खेतों तक में खेला जा रहा है। सरकार गांवों के पारंपरिक खेलों को आगे बढ़ाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मुलायम सिंह यादव ने ही प्रदेश में यश भारती पुरस्कार की शुरुआत की थी। अब यह सम्मान राशि पांच लाख से बढ़ाकर 11 लाख रुपए कर दी गई है। कोच एवं खिलाड़ियों का डाइट भत्ता भी बढ़ाया जाएगा। उन्हीं की वजह से यहां राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं हो रही हैं। सैफई देश का इतना विकसित गांव बन गया है। पिछली सरकार ने खेलकूद को बढ़ावा देना तो दूर, स्टेडियम में डायनामाइट लगा दिया था। सपा सरकार में ही वर्ष 2005 में सैफई में राष्ट्रीय खेलकूद प्रतियोगिताएं हुई थीं। खेल राज्य मंत्री राम करन आर्या ने कहा कि प्रदेश के 75 जिलों में कोच उपलब्ध हो जाएं तो प्रतिभाएं और निखर जाएंगी। मुख्यमंत्री ने इस पर भी विचार करने का आश्वासन दिया।

टीईटी के करोड़ों रुपये का नहीं मिल रहा हिसाब


• अमर उजाला ब्यूरो
लखनऊ। अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी)-2011 के पैसों का हिसाब नहीं मिल पा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग पिछले तीन महीनों से लगातार पत्राचार कर रहा है कि टीईटी फार्म भरने वालों से मिले पैसे का हिसाब कर दिया जाए। यह बताया जाए कि परीक्षा कराने पर कितने खर्च हुए और अभी कितना बचा हुआ है, लेकिन माध्यमिक शिक्षा विभाग है कि हिसाब देने को तैयार नहीं है।
यूपी में वर्ष 2011 में पहली बार टीईटी आयोजित कराई गई थी। बेसिक शिक्षा विभाग से आयोजित होने वाली परीक्षा माध्यमिक शिक्षा विभाग को सौंप दी गई थी। उस समय टीईटी के लिए करीब 14 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किए। सामान्य और पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों से 500 और अनुसूचित जाति व जनजाति से 250 रुपये परीक्षा शुल्क लिया गया। माध्यमिक शिक्षा विभाग को इससे करीब 16 कराड़ रुपये की आय हुई। जानकारों का कहना है कि परीक्षा कराने के लिए प्रत्येक मंडलों को 30 से 32 लाख रुपये दिए गए। इस हिसाब से इसके आयोजन पर करीब 5 करोड़ 75 लाख रुपये के आसपास खर्च हुआ।
इसके अलावा परीक्षा का रिजल्ट तैयार करने वाली कंप्यूटर कंपनी को करीब 5 करोड़ रुपये दिए जाने की बात प्रकाश में आई है। अन्य पैसे कहां गए इसका पता नहीं चल रहा है। इस संबंध में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए है। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार ने माध्यमिक शिक्षा विभाग को सितंबर 2012 में पहला पत्र लिखा कि टीईटी के आयोजन की जिम्मेदारी परीक्षा नियामक प्राधिकारी को सौंप दी गई है। इसलिए टीईटी 2011 के आयोजन के बाद जो पैसा बचा है, उसे परीक्षा नियामक प्राधिकारी को सौंप दिया जाए। प्रमुख सचिव के इस पत्र के बाद भी टीईटी के पैसों का हिसाब नहीं दिया जा रहा है। बेसिक शिक्षा विभाग ने इस संबंध में पुन: माध्यमिक शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है कि पैसा वापस कर दिया जाए।

टी इ टी अभ्यर्थियों को पुलिस ने खदेड़ा


अमर उजाला ब्यूरो
इलाहाबाद। 72825 पदों पर सहायक अध्यापकों की भर्ती न किए जाने के विरोध में टीईटी पास अभ्यर्थियों ने सोमवार को सुभाष चौराहे पर मुख्यमंत्री का पुतला फूंका। अभ्यर्थियों की भीड़ देख वहां पहुंची पुलिस ने उन्हें खदेड़ लिया। लाठियां पटकने से वहां भगदड़ मच गई। अभ्यर्थियों ने आजाद पार्क में भी जमकर नारेबाजी की और निर्णय लिया कि वे 29 नवंबर को विधानसभा भवन का घेराव करेंगे। अभ्यर्थियों की मांग है कि जल्द से जल्द भर्ती विज्ञापन निकाला जाए, जिससे नौकरी की आस देख रहे हजारों बेरोजगारों का सपना पूरा हो सके।
अभ्यर्थियों का कहना है कि 23 नवंबर 2011 को शुरू हुई प्रक्रिया को एक साल से अधिक का समय बीत गया है, लेकिन आज तक भर्ती नहीं हो सकी है। विज्ञापन रद हुए भी तीन महीने बीतने को हैं, लेकिन अभी तक यह निर्धारित नहीं हो सका कि विज्ञापन का प्रारूप कैसा होगा। सरकार टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का लगातार मानसिक शोषण कर रही है। अभ्यर्थियों की मांग है कि कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा के अंदर विज्ञापन निकाला जाए और भर्ती प्रक्रिया शुरू हो सके। अभिषेक सिंह, संजय पांडेय, पवन मिश्रा, नीरज मिश्रा, पीयूष त्रिपाठी, सारस्वत शिवाकांत अभ्यर्थी मौजूद रहे।

Shortage of Primary Teachers in Uttar Pradesh

बी. सिंह इलाहाबाद।
भले ही प्रधानमंत्री शैक्षिक गुणवत्ता पर चिंता व्यक्त करें किन्तु उत्तर प्रदेश के 7 हजार प्राथमिक स्कूलों में आज भी ताला लटक रहा है। यही नहीं 15 हजार से भी अधिक ऐसे प्राथमिक स्कूल हैं, जहां एक ही शिक्षक तैनात है। यह स्थिति कोई एक-दो महीने में नहीं पैदा हुई है। बल्कि पिछले चार वर्षो से प्राथमिक स्कूलों में नए शिक्षकों की भर्ती बंद है। अकेले इलाहाबाद में 35 ऐसे विालय हैं जहां शिक्षकों की भर्ती बंद है। जबकि लगभग 3 लाख शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। देश के कई राज्यों में जहां शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) तीन-तीन बार हो चुकी है वहीं उत्तर प्रदेश में केवल एक बार वर्ष 2011 नवम्बर में टीईटी हुई। वह भी अभी तकविवादों में फंसी है। अभी भी यह स्पष्ट नहीं कि यह परीक्षा कब तक हो सकेगी।

इस समय सूबे में 1,04,623 प्राथमिक स्कूल चल रहे हैं। दूसरी ओर जूनियर हाईस्कूलों की कुल संख्या इस समय 45,527 बताई जा रही है। चूंकि इस समय सूबे में नि:शुल्क अनिवार्य शिक्षा कानून लागू है। यदि उसका सही पालन किया जाए तो अभी भी लाखों नए शिक्षकों के पदों को भरना होगा। उधर राज्य का शिक्षा विभाग इस मामले में जिस तरह से उदासीन है उससे यह नहीं लगता कि शिक्षकों की कमी जल्द खत्म हो पाएगी।

ऐसी स्थिति में शिक्षकों की कमी रहते हुए स्कूलों में पढ़ाई का स्तर ऊंचा उठ पाएगा, फिलहाल ऐसा नहीं लग रहा है। माध्यमिक शिक्षा की भी हालत बहुत खराब है। पिछले दो-तीन वर्षो से यहां भी चयन बोर्ड शिक्षकों की नियुक्ति सदस्यों की कमी के कारण नहीं कर पा रहा है। सूबे में लगभग 25 हजार शिक्षकों की कमी माध्यमिक स्कूलों में इस समय बनी हुई है। जिस तरह से शिक्षा विभाग इस मामले में काम कर रहा है उससे यह नहीं लगता कि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अगले 6 माह के पहले शुरू हो पाएगी।

Demand for Recruitment of TET candidates

देवरिया:
हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद प्रदेश सरकार टीईटी अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी नहीं कर रही। राज्य सरकार के इस रवैए को लेकर टीईटी अभ्यर्थियों में रोष व्याप्त है। ऐसे में सरकार से हम मांग करते हैं कि नियुक्ति के लिए जल्द विज्ञापन जारी करें, ताकि नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो सके।

यह बातें टीईटी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष अनुराग मल्ल ने कही। वह रविवार को टाउनहाल परिसर में मोर्चा की बैठक को संबोधित कर रहे थे। जिला महामंत्री गौरीशंकर पाठक ने कहा कि कोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट रूप से कहा है कि राज्य सरकार द्वारा ऐसा कोई विज्ञापन जारी नहीं किया जाना चाहिए जो याचिका में शामिल अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले।

मोर्चा के राजित दीक्षित ने कहा कि यदि टीईटी मेरिट के आधार पर हमारी नियुक्ति नहीं होती है तो प्रदेश मोर्चा लोकसभा चुनाव में जनमत तैयार कर सरकार का पूर्ण विरोध करेगा। बैठक की अध्यक्षता शैलेष मणि त्रिपाठी व संचालन वेद प्रकाश चौरसिया ने किया।

इस अवसर पर अश्विनी यादव, प्रियरंजन वर्मा, पुण्डरीकाक्ष शर्मा, राजीव गुप्ता, दुर्गेश गुप्ता, रत्नेश कुमार तिवारी, शैलेश त्रिपाठी, प्रमोद सिंह, सच्चिदानंद मिश्र आदि मौजूद रहे।

Thursday 8 November 2012

Urdu Teacher Recruitment 2012-NCTE Permission required


उर्दू शिक्षकों की भर्ती में फिर फंसा पेंचन्याय विभाग ने कहा एनसीटीई से लें स्वीकृति

अमर उजाला ब्यूरो-लखनऊ।

प्राइमरी स्कूलों में मोअल्लिम डिग्री धारक 3480 उर्दू शिक्षकों की भर्ती में एक बार फिर पेंच फंस गया है। मोअल्लिम डिग्री धारक अभ्यर्थियों को प्राइमरी स्कूलों में सीधे सहायक शिक्षक बनाने को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग ने न्याय विभाग से राय मांगी थी। लेकिन न्याय विभाग ने इस मामले में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से स्वीकृति लेने का सुझाव देते हुए फाइल विभाग को लौटा दिया है।

मोअल्लिम-ए-उर्दू और डिप्लोमा इन उर्दू टीचिंग करने वालों के लिए टीईटी की अनिवार्यता समाप्त कर छह माह की ट्रेनिंग के बाद सीधे उर्दू सहायक शिक्षक बनाने पर सरकार विचार कर रही है। प्रदेश में वर्ष 1994-95 में प्राइमरी स्कूलों में उर्दू के सहायक अध्यापक रखे गए थे। बेसिक शिक्षा विभाग ने मोअल्लिम-ए-उर्दू और डिप्लेमा इन उर्दू टीचिंग उपाधि को इसके लिए पात्र माना था। लेकिन बाद में इन उपाधियों को अपात्र मान लिया गया। इस संबंध में मोअल्लिम-ए-उर्दू वालों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया और सुनवाई के बाद फैसला उनके पक्ष में हुआ। राज्य सरकार ने इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल की।

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल ही रही थी कि 29 जून 2011 को तत्कालीन मायावती सरकार ने एसएलपी वापस लेकर इन उपाधि धारकों को प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाने का निर्णय कर लिया। इसके लिए 1997 से पहले मोअल्लिम-ए-उर्दू और डिप्लोमा इन उर्दू टीचिंग करने वालों को पात्र माना गया। इसके आधार पर ही नवंबर 2011 में आयोजित टीईटी में इन्हें शामिल होने की अनुमति दी गई। पर मोअल्लिम-ए-उर्दू वाले टीईटी दिए बिना ही शिक्षक बनना चाहते थे। कुछ उपाधि धारक टीईटी में शामिल हुए लेकिन अधिकतर शामिल नहीं हुए। इन उपाधिधारकों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर टीईटी की अनिवार्यता समाप्त कर शिक्षक बनाने की मांग की। इसके बाद शासन ने सीधे मोअल्लिम-ए-उर्दू और डिप्लोमा इन उर्दू टीचिंग उपाधिधारकों को सहायक शिक्षक बनाने की कवायद में जुटा है
news source-http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20121109a_006163009&ileft=129&itop=357&zoomRatio=130&AN=20121109a_006163009