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Sunday 11 November 2012

TET for Urdu BTC

Govt. yet to Decide on TET requirment for Urdu BTC in Uttar Pradesh


मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को टीईटी से छूट देने पर भ्रम
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों को अध्यापक पात्रता परीक्षा (टीईटी) से छूट देने का मामला उलझता जा रहा है। प्रकरण में बेसिक शिक्षा महकमे को न्याय विभाग तीन मौकों पर तीन अलग-अलग राय दे चुका है। मामला सुलझता न देख मुख्य सचिव के निर्देश पर अब विधिक परामर्श के लिए पत्रावली महाधिवक्ता को भेजी गई है। शासन 1997 से पहले के मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों तथा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) से डिप्लोमा इन टीचिंग सर्टिफिकेट हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को शिक्षकों की नियुक्ति में टीईटी से छूट देने की राह तलाश रहा है। इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग ने जब पहली बार अभिमत मांगा तो न्याय विभाग ने परामर्श दिया कि राज्य सरकार की सुप्रीम कोर्ट में दाखिल विशेष अनुज्ञा याचिका वापस लेने के बाद मुअल्लिम-ए-उर्दू उपाधिधारकों के मामले में हाई कोर्ट का आदेश बाध्यकारी हो जाता है। हाई कोर्ट ने 14 जुलाई 2010 को सरकार को आदेश दिया था कि उर्दू शिक्षकों के पद पर नियुक्ति के लिए मुअल्लिम-ए-उर्दू की उपाधि को बीटीसी (उर्दू) के समकक्ष मान्यता दी जाए।

Thursday 8 November 2012

Urdu Teacher Recruitment 2012-NCTE Permission required


उर्दू शिक्षकों की भर्ती में फिर फंसा पेंचन्याय विभाग ने कहा एनसीटीई से लें स्वीकृति

अमर उजाला ब्यूरो-लखनऊ।

प्राइमरी स्कूलों में मोअल्लिम डिग्री धारक 3480 उर्दू शिक्षकों की भर्ती में एक बार फिर पेंच फंस गया है। मोअल्लिम डिग्री धारक अभ्यर्थियों को प्राइमरी स्कूलों में सीधे सहायक शिक्षक बनाने को लेकर बेसिक शिक्षा विभाग ने न्याय विभाग से राय मांगी थी। लेकिन न्याय विभाग ने इस मामले में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से स्वीकृति लेने का सुझाव देते हुए फाइल विभाग को लौटा दिया है।

मोअल्लिम-ए-उर्दू और डिप्लोमा इन उर्दू टीचिंग करने वालों के लिए टीईटी की अनिवार्यता समाप्त कर छह माह की ट्रेनिंग के बाद सीधे उर्दू सहायक शिक्षक बनाने पर सरकार विचार कर रही है। प्रदेश में वर्ष 1994-95 में प्राइमरी स्कूलों में उर्दू के सहायक अध्यापक रखे गए थे। बेसिक शिक्षा विभाग ने मोअल्लिम-ए-उर्दू और डिप्लेमा इन उर्दू टीचिंग उपाधि को इसके लिए पात्र माना था। लेकिन बाद में इन उपाधियों को अपात्र मान लिया गया। इस संबंध में मोअल्लिम-ए-उर्दू वालों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया और सुनवाई के बाद फैसला उनके पक्ष में हुआ। राज्य सरकार ने इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुज्ञा याचिका (एसएलपी) दाखिल की।

सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल ही रही थी कि 29 जून 2011 को तत्कालीन मायावती सरकार ने एसएलपी वापस लेकर इन उपाधि धारकों को प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापक बनाने का निर्णय कर लिया। इसके लिए 1997 से पहले मोअल्लिम-ए-उर्दू और डिप्लोमा इन उर्दू टीचिंग करने वालों को पात्र माना गया। इसके आधार पर ही नवंबर 2011 में आयोजित टीईटी में इन्हें शामिल होने की अनुमति दी गई। पर मोअल्लिम-ए-उर्दू वाले टीईटी दिए बिना ही शिक्षक बनना चाहते थे। कुछ उपाधि धारक टीईटी में शामिल हुए लेकिन अधिकतर शामिल नहीं हुए। इन उपाधिधारकों ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मुलाकात कर टीईटी की अनिवार्यता समाप्त कर शिक्षक बनाने की मांग की। इसके बाद शासन ने सीधे मोअल्लिम-ए-उर्दू और डिप्लोमा इन उर्दू टीचिंग उपाधिधारकों को सहायक शिक्षक बनाने की कवायद में जुटा है
news source-http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20121109a_006163009&ileft=129&itop=357&zoomRatio=130&AN=20121109a_006163009